उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की तमाम कोशिशों और सख्ती दिखाने के बाद भी राज्य के 20 लाख से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल पर चले गए है. कर्मचारियों की हड़ताल का व्यापक असर देखने को मिल रहा है. राज्य की राजधानी लखनऊ में ज्यादातर सरकारी कार्यालय खाली नजर आए और कुछ तो बंद तक रहे. राज्य में इतने बड़े स्तर पर सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल से आम लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है. इससे पहले राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार ने हड़ताल रोकने के लिए पूरा जोर लगाया लेकिन वह विफल रही.
हड़ताल पर गए सरकारी कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की योगी सरकार से मांग कर रहे है. योगी सरकार ने नई पेंशन योजना लागू की है जिसमें सरकार का हिस्सा 10 फीसदी से बढ़कर 14 फीसदी कर दिया गया है. पेंशन के लिए जितना योगदान सरकार देती है उनता ही कर्मचारी के वेतन से काट कर किया जाता है.

इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि अब कर्मचारियों के योगदान में भी 4 फीसदी के बढ़ोत्तरी होगी जिसका वह विरोध कर रहे हैं. कर्मचारी यूनियन के एक नेता ने बताया कि सरकार और कर्मचारी संघो के बीच कई वार्ता हुई लेकिन यह विफल रही.
इसी के चलते योगी सरकार ने राज्य में आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) लागू करके सभी तरह के प्रदर्शनों को प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन इसके बाद भी कर्मचारियों ने हड़ताल शुरू कर दी हैं. कर्मचारियों ने कार्यालयों के बाहर इकठ्ठा होकर प्रदर्शन किये.
राज्य सरकार की नई पेंशन योजना के खिलाफ हो रहे इस राज्यव्यापी प्रदर्शन में 150 से ज्यादा सरकारी कर्मचारी संगठन हिस्सा लिया है. वहीं स्वास्थ्य व ऊर्जा क्षेत्र के कर्मचारी फ़िलहाल हड़ताल में शामिल नहीं हुए है. लोग प्रभावित न हो इसलिए वह अभी शामिल नहीं हुए लेकिन बाद में हड़ताल में भाग लेंगे.

सभी यूनियन के प्रतिनिधि समूह के संजोयक हरि किशोर तिवारी ने बताया कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी जाती है तो वह इस हड़ताल को 12 फरवरी तक जारी रखेंगे. सरकार के एस्मा लगाने को लेकर कर्मचारी संघ के अध्यक्ष शिव बरन सिंह यादव ने कहा कि वह सरकार के अनुशासनात्मक और दंडात्मक कार्रवाई की धमकियों से डरने वाले नहीं हैं.