जिनेवा: चीन में मुसलमानों पर लगाए गए कई तरह के प्रतिबंधों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय आगे आया है। मानवाधिकार निगरानी संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि 22 पश्चिमी देशों ने एक बयान जारी कर चीन से कहा है कि वह शिनजियांग प्रांत में उइगर और अन्य मुसलमा’नों के खिलाफ बड़े पैमाने पर मनमाने तरीके से हुई नजरबंदी और अन्य उल्लंघनों को जल्द से जल्द खत्म करें।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन देशों ने चीन से अपील करते हुए कहा है कि वह शिनजियांग क्षेत्र में उइगर और अन्य मुसलमानों के खिलाफ बड़े पैमाने पर मनमाने तरीके से हुई नजरबंदी और अन्य उल्लंघनों को खत्म करने को कहा है। उत्पीड़न को लेकर चीन के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वाले देशों में फ्रांस ब्रिटेन जर्मनी जापान ऑस्ट्रेलिया कनाडा और न्यूज़ीलैंड जैसे देश भी शामिल हैं।
लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न के खिलाफ़ आवाज़ उठाने वाले इन देशों की फेहरिस्त में किसी भी मुस्लि’म बाहुल्य देश का नाम आगे नहीं आया नहीं आया। जिसकी सोशल मीडिया पर जमकर आलोचना भी की जा रही है।
लेखिका एवं राजनीतिक विश्लेषक ज़ैनब सिकंदर ने ट्विटर के ज़रिए कहा, की मैं तथाकथित ‘इस्लामिक राष्ट्रों पर थूकती हूं, जो चीन के उइगर और तुर्क मुसलमा’नों की चिंता नहीं करते जिन्हें सरकार द्वारा हिरासत में रखा गया है और सिर्फ इसलिए प्रताड़ित किया जा रहा है क्योंकि वे मुसलमान हैं। 22 देशों ने इसके लिए बात की है। जिनमें एक भी मुस्लिम देश नहीं है।
I spit on the so called “Islamic Nations” who don’t bat an eyelid for the Uyghur & Turkic Muslims of China who are being detained & tortured by the govt just because they’re Muslims.
22 countries have spoken up for this.
𝙉𝙤𝙩 𝙤𝙣𝙚 is a “Muslim” nation.https://t.co/GJc0hcFNMH— Zainab Sikander (@zainabsikander) July 11, 2019
ग़ौरतलब है कि मानवाधिकार समूहों और अमेरिका का अनुमान है कि चीन के शिनजियांग में करीब 10 लाख मुसलमा’नों को मनमाने तरीके से नजरबंद किया गया है। हालांकि चीन हिरासत केंद्रों में इस तरह के मानवाधिकार उल्लंघनों से इनकार करता है और इन्हें चरमपंथ से लड़ने तथा रोजगार योग्य कौशल सिखाने के उद्देश्य वाले प्रशिक्षण स्कूल बताता है।