हज़रत निज़ामुद्दीन के इलाके में स्तिथ मरकज़ से जमातीयों को निकालने के बाद अब, उत्तरी दिल्ली से खबर आ रही है कि मजनू का टीला नाम के गुरुद्वारे से 300 से भी ज़्यादा लोगों को निकाला गया है. यह भी वहां उसी तरह फंसे हुए थे जिस तरह से मरकज में अलग-अलग देशों समेत भारतीय जमाती फंसे हुए थे.
दिल्ली पुलिस ने गुरुद्वारे से इन लोगों को निकालने के बाद, नेहरू विहार के ही एक स्कूल में शिफ्ट कर दिया है. आपको बता दें कि इसी स्कूल को क्वॉरेंटाइन सेंटर भी बनाया गया है. दिल्ली सिख कम्युनिटी के गुरुद्वारा प्रबंधक की लापरवाही के चलते इस बड़े ऐतिहासिक गुरुद्वारे में यह लोग फंस गए थे.
हालांकि इन सभी लोगों को निकलने के बाद, मजनू का टीला नामक गुरुद्वारे को सील कर दिया गया है. और दिल्ली सरकार ने इस वक़्त लॉक डाउन का सख्ती से पालन कराने के चलते, अपने अधिकतर स्कूल अस्थाई रैन बसेरों मैं बदल दिए हैं.
मीडिया के अनुसार दिल्ली की सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी ने, दिल्ली में फंसे हुए पंजाब के लोगों को अमृतसर तक भिजवाने के लिए दिल्ली कमेटी और शिरोमणि कमेटी की तरफ से टीम गठित की गई थी, तब उसके साथ उन्होंने 2 बसें भेजने का ऐलान किया था.
Around 210 people who were stranded at Majnu-ka-Tilla Gurudwara since 28th March due to #CoronavirusLockdown, are being shifted to schools: Deputy Commissioner of Police (DCP) North, Delhi. #COVID19 pic.twitter.com/5giE8jDFNr
— ANI (@ANI) April 1, 2020
इन बसों को भेजने का समय सुबह 29 मार्च 6:00 बजे का बताया गया था, इसके बाद फिर दिल्ली में फंसे हुए पंजाब में रहने वाले लोग बड़ी संख्या में गुरुद्वारा पहुंच गए थे. इसके बाद कमेटी के स्टाफ मेंबर ने पंजाब जाने वाले लोगों के आधार कार्ड और उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर लिए.
आपको बता दें यह संख्या लगभग 400 लोगों की पाई गई. उन्होंने सभी लोगों को विश्वास दिलाया, कि आप गुरुद्वारे के लंगर हाल में ही रुक जाएं, और यह लंगर की पूरी व्यवस्था है.
लेकिन 29 मार्च को वहां किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई. तब जाकर 30 मार्च को कमेटी के अध्यक्ष ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को ट्वीट करके यहां के बारे में कुछ जानकारी दी, और यहां से लोगों को पंजाब ले जाने के लिए वहां से बस भिजवाने की भी मांग की थी.
दिल्ली पुलिस ने जब सिख गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी को फटकार लगाई, तब उन्होंने बताया कि वह निजामुद्दीन की तबलीगी जमात पर हुई कार्यवाही को देखकर डर गए थे. कि अगर हम लोगों में से किसी में कोरोना के लक्षण दिखे तो उसके लिए हमें जिम्मेदार ठहराया जायेगा.