अहमदाबाद: प्रदर्शनकारियों के पथराव से दर्जन भर पुलिस कर्मी घाय’ल, ये कैसा सन्देश दे रहे हैं हम?
दिल्ली: देशभर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर प्रदर्शन चल रहे हैं, सबसे पहले यह प्रदर्शन देश के पूर्वोत्तर राज्यों में शुरू हुए थे, जिसके बाद फिर बड़े स्तर पर जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्रों द्वारा प्रदर्शन किया गया. जब जामिया के छात्रों द्वारा प्रदर्शन किया गया, तो उस दौरान यह प्रदर्शन हिंस’क हो गया था. इसके बाद पुलिस ने छात्रों पर लाठीचार्ज की और आंसू गैस के गो’ले भी दागे.
प्रदर्शन हिंस’क होने की वजह जामिया के छात्रों ने बताई कि पुलिस ने पहले पथराव शुरू किया था, जिसके बाद जवाब में पथराव किया गया और प्रदर्शन हिंस’क हो गया. पुलिस पर भी इस मामले में FIR दर्ज हुई है, बताया जाता है कि यह लोग बिना इजाज़त जामिया के अन्दर घुसे थे. खैर… यह जांच का विषय है.
प्रदर्शनकारियों के पथराव से अहमदाबाद में कई पुलिस कर्मी हताहत
इसके बाद अलीगढ़ यूनिवर्सिटी और देश के तमाम राज्यों में भी, नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. जिसमें अभी उत्तर प्रदेश के लखनऊ में इस कानून को लेकर किये जा रहा प्रदर्शन भी हिंस’क हो गया, जिसमें लोगों की जान तक चली गयी.
लखनऊ में प्रदर्शनकारियों के उत्पात के बाद, पुलिस ने वहां से कई लोगों को हिरासत में लिया है, और कई लोगों को नोटिस भी भेजा है. जिसमें कई नेता और जनता पर एफआइआर भी दर्ज हुई.
ठीक 19 दिसम्बर को इसी दिन, बेंगलुरु और अहमदाबाद में भी नागरिकता कानून को लेकर प्रदर्शन चल रहा था. यहां भी प्रदर्शन हिंस’क हो जाने की वजह से पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, और जनता ने भी पुलिस पर काफी पथराव किया.
अब इधर हम अहमदाबाद की बात कर रहे हैं, यहां जो हुआ वह नहीं होना चाहिए था. कानून आपको संविधान के दायरे में रहकर किसी भी तरह का विरो’ध या प्रदर्शन करने की इजाजत देता है. कल 19 दिसंबर को जब देशभर में धारा 144 लागू कर दी गई थी, इसके बावजूद भी लोगों ने प्रदर्शन किया.
प्रदर्शन तक सीमित रहते, तब भी ठीक था. लोगों ने बड़ी बेरह’मी से पुलिसवालों पर जो पथराव किया है उसे देखने से ही डर लगता है. इनमें तकरीबन एक दर्जन से भी ज्यादा पुलिसवाले घाय’ल हो गए, जिनमें कुछ महिला पुलिस भी हैं.
हमारे देश के लोग आखिर इस तरह से क्या संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं?. पहले ही हमारे देश की आर्थिक स्थिति डामाडोल है, जिसको सही करने को लेकर सरकार की भी कोई खास दिलचस्पी नहीं दिख रही है. वह सब अपनी सीटें गिनने और वोट बटोरने में लगे हुए हैं.
देशभर में उत्पाती लोगों की वजह से कानून व्यवस्था पूरी तरह से भंग हो चुकी है. आखिर जेलों में भी कितने लोगों को डाला जायेगा. भारत में रहने वाले लोगों को ऐसे में जान लेना चाहिए कि भारत को भारत ही बचा सकता है, यानि की खुद आप.
अगर इस देश में रहने वाले नागरिक, अपनी ही संपत्ति को तोड़ेंगे तो कैसे काम चलेगा. ये सब आपके और हमारे पैसे से ही बनी चीज़ें हैं. निजी नुकसान हो रहा है वह तो अलग ही है.
लोगों के काम धंदे थप, दुकानें बंद होने से आम जनता को ही परेशानी आना है. हालांकि देश के कई हिस्सों में बड़े-बड़े प्रदर्शन हुए जहां एक कंकड़ भी किसी को नहीं लगा.
क्या इस तरह के शांतिपूर्ण प्रदर्शन नहीं हो सकते?. अभी हाल ही में मुंबई में हजारों लोगों की भी’ड़ ने प्रदर्शन किया जहां कुछ नहीं हुआ.
मध्यप्रदेश में भी कई जगह बड़े-बड़े प्रदर्शन किए गए, इधर से भी किसी तरह की अप्रिय खबर सुनाई नहीं दी .ठीक इसी तरह से राजस्थान में भी प्रदर्शन हुए वहां भी सब कुछ ठीक-ठाक रहा.
देश के नागरिकों को ध्यान रखना चाहिए कि जब हम अंग्रेजों के गुलाम थे, तब हमें आज़ादी ऐसी हिं’सा से नहीं मिली थी. हालांकि अंग्रेजों का जो जुल्म था वो बर्दाश्त के लायक नहीं था, इसके बावजूद भी लोगों ने सिर्फ और सिर्फ अहिं’सा का रास्ता अपनाया और अपने देश को आज़ाद करवाया.
आप सभी देश के नागरिकों से हम शांति की अपील करते हैं, आप ऐसे किसी भी प्रदर्शन का हिस्सा न बनें, जिसमें हुडदंग हो. न ही सोशल मीडिया पर किसी भी तरह से हिं’सा का समर्थन कतई ना करें.