जामिया नगर के नई बस्ती इलाक़े में महिलाओं की तरावीह 23 रोज़ में पूरी हुई. इस तरावीह की इमामत 21 साल की हाफ़िज़ा माहरुख फ़ातिमा एरम कर रही थीं. सबसे बड़ी बात यह है कि फ़ातिमा एरम पिछले 8 साल से तरावीह पढ़ा रही हैं. लेकिन इनकी पहचान सिर्फ़ एक हाफ़िज़ा की ही नहीं है बल्कि वह अपने इलाक़े की लड़कियों के लिए एक मिसाल भी हैं.
फ़ातिमा एरम बिहार के मधुबनी ज़िला के सुन्हौली गांव में जन्मी और आठवीं क्लास तक की पढ़ाई पटना के शरीफ़ कॉलोनी स्थित अल-हिरा पब्लिक स्कूल से हुई और यही से उन्होंने हिफ़्ज़ भी किया. एरम बताती हैं कि अल-हिरा पब्लिक स्कूल की सबसे अच्छी बात यह है कि जहां दुनियावी तालीम भी दी जाती है.
इसके साथ ही आप इस्लामिक तालीम भी हासिल कर सकते हैं. मैंने यहां से चार साल में हिफ़्ज़ मुकम्मल किया. इस स्कूल में लड़कियों की अच्छी संख्या होती है. लड़के-लड़कियां साथ में पढ़ते हैं और दोनों साथ में हिफ़्ज़ करते हैं.
एरम ने इसके बाद 2012 में दिल्ली आकार यहां के जामिया नगर के ख़दीजतुल कुबरा पब्लिक स्कूल में दाखिला लिया. जहां इन्होंने दसवीं 80 फ़ीसद नंबरों से पास की और फिर उनका दाख़िला जामिया स्कूल में हुआ. 12वीं में भी इन्होंने 80 फ़ीसद नंबर हासिल किए.
जामिया से ही ईटीई की डिग्री करने के बाद अब जामिया में ही बीए फाइनल इयर की स्टूडेंट हैं. एरम की ख़्वाहिश है कि वह आईएएस बने. इसके लिए इन्होंने अपनी तैयारी शुरू भी कर दी हैं. जब उनके पूछा गया कि वो आईएएस ही क्यों बनना चाहती हैं?
इस पर उन्होंने कहा कि मैं जिस समाज से ताल्लुक रखती हूं, वो हर ऐतबार से काफ़ी पिछड़ा हुआ है. लेकिन ये पिछड़ापन सिर्फ़ रो कर बयान देने से ख़त्म नहीं होगा इसके लिए हमें खुद भी सिस्टम में आना होगा. लोगों को तालीम के लिए बेदार करना होगा.