नई दिल्लीः इस समय भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) भारतीय मुसलमा’नो को लेकर अपने नए नए फैसलों से चौतरफा घिरी हुई है, यही कारण है कि भारत के ऊपर पिछले कुछ दिनों से लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ रहा है जिसके चलते भारत की मुश्किलें अंतरराष्ट्रीय व्यापार में बढ़ती जा रही है। साथ ही साथ निवेशको काभी भारत से भरोसा उठता जा रहा है। जिसको लेकर कई देश भारत की आलोचना भी कर चुके है।
इसी को लेकर भारत सरकार के फैसलों से नाराज मलेशिया के रिफाइंड पाम ऑयल और पामोलिन के आयात पर भारत सरकार ने रोक लगा दी है। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि यह कदम मलेशिया द्वारा जम्मू कश्मीर और नागरिकता संशोधन कानून पर मोदी सरकार की आलोचना के जवाब में उठाया गया है।
बुधवार को एक नोटिफिकेशन जारी कर वाणिज्य एवं उद्धोग मंत्रालय ने कहा कि मलेशिया से रिफाइंड पाम ऑयल के निर्यात को मुक्त से अलग करके वर्जित श्रेणी में रखा गया है। इससे मलेशिया को भारी नुकसान होगा। गौरतलब है कि कश्मीर और नागरिकता संशोधन कानून को लेकर मलेशियाई प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने हाल ही में भारत सरकार की नीतियों की आलोचना की थी।
मलेशियाई पीएम ने पिछले वर्ष अक्टूबर में कहा था कि कश्मीर को लेकर भारत सरकार ने गलत निर्णय लिया है। और दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर करा था कि भारत सरकार अशांति को भढ़ावा दे रहा है। सरकार ने इसी हफ्ते पाम ऑयल रिफाइनर्स और कारोबारियों को अनौपचारिक सलाह दिया कि वे मलेशिया ले पाम ऑयल खरीदने से बचें।
जानकार बताते हैं कि इससे मलेशिया को नुकसान का सामना करना होगा। पाम ऑयल का सबसे बड़ा सप्लायर पहले इंडोनेशिया था। लेकिन 2019 में रिफाइंड पाम ऑयल पर टैक्स घटाकर मलेशिया इसमें आगे हो गया और सबसे बड़ा सप्लायर देश बन गया। पाम ऑयल का कारोबार वहां के जीडीपी में 2.5 फीसदी और निर्यात में 4.5 फीसदी हिस्सा है।
इससे आप समझ सकते हैं कि मलेशिया के लिए इसका कारोबार कितना महत्वपूर्ण है। भारत में 90 लाख टन पाम ऑयल हर साल आयात होता है। जो कि कुल खाद्य तेल कारोबार का दो-तिहाई हिस्सा है।
हलाकि भारत सरकार के द्वारा लिए गए इस निर्णय से भारतीय कारोबारी खुश होगें क्योंकि इंडियन वेजिटेबल ऑयल रिफाइनर्स के कारोबार में इससे बढ़ावा मिलेगा। सरकार के इस नोटिफिकेशन के बाद से ही भारतीय क्रूड पाय के दामों में तेजी से बढ़ोतरी ही है।