अराफात का मैदान में लब्बैक अल्ला हुम्म लब्बैक की गूंजती सदा। दिल की धड़कने बढ़ी। हज मुकम्मल होने की जुस्तजूं। जौहर के बाद कुछ बेचैनी बढ़ी लेकिन हज मुकम्मल होने की खुशी भी। जहाँ शनिवार को 20 लाख से भी ज्यादा हाजी अराफात के पवित्र पहाड़ पर जमा हुए। शनिवार तड़के भारी तादाद में हाजी पहाड़ से गुजरे। इसी दौरान अप्रत्याशित रूप से मूसलाधार रहमतो की बारिश बारिश और कई हाजी खुशी से रोने लगे। और हर कोई अल्लाह के दर पर फरियाद के साथ। अपने अपने देश और दुनिया में रहने वाले लोग के लिए दुआए मांगने लगे।
अस्र की नमाज के बाद जहा दुआओ का सिलसिला शुरू हुआ। जो मगरिब की अजान के पहले तक चला। अराफात के मैदान में अस्र की नमाज के साथ ही दिल को राहत मिलने लगी। हाजियों को सुकून के लिए अल्लाह ने तेज हवाओं के साथ रहमतो की बारिश कर दी। अस्र की नमाज से पहले हवा शुरू हुई। उसके बाद बारिश से सुकून मिला।
जहा हवा के चलते ही कुछ हाजी दुआ करते हुए आसमान की तरफ अपने दोनों हाथ बढ़ाते हुए अपने टेंट से बाहर निकल आए। अधिकांश तीर्थयात्रियों ने महसूस किया कि उन्हें पांच दिवसीय हज के सबसे महत्वपूर्ण दिन बारिश का अनुभव हुआ है।
बता दें की तक़रीबन 1400 साल पहले पैगंबर हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुसलमानों के बीच समानता और एकता को लेकर अपना आखिरी बयान दिया था। दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक सभाओं में से एक हज के दूसरे दिन को हाजियों के लिये बेहद अहम और यादगार माना जाता है। इस दिन दुनियाभर के हाजी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होते हैं और अल्लाह से दया और आशीर्वाद मांगते हैं।
आपको बता दें मुस्लि’म धर्म में हज यात्रा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। सऊदी अरब का मक्का शहर में काबा को इस्लाम में सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। मुस्लि’म समुदाय में हज यात्रा को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इस्लाम का यह प्राचीन धार्मिक अनुष्ठान दुनिया भर के मुस्लमा’नों के लिए काफी अहम होता है।