कर्नाटक: भारतीय जनता पार्टी ने कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस के विधायक को खरीद-फरोख्त कर सरकार बना ली है। जिसका दावा अयोग्य ठहराए गए विधायक नारायण गौड़ा ने मंगलवार को किया है गौड़ा ने कहा की बीएस येदियुरप्पा ने उन्हें अपने क्षेत्र कृष्णाराजपेट के विकास के लिए 1000 करोड़ रुपये दिए, जबकि उन्होंने अपने कृष्णराजपेट निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए 700 करोड़ रुपये मांगे थे जिसका इस्तेमाल क्षेत्र के विकास कार्यों में किया जा रहा है।
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक गौड़ा ने अपने समर्थकों से बातचीत के दौरान कहा, की एक आदमी मेरे पास आया और मुझे बीएस येदियुरप्पा के आवास पर सुबह पांच बजे ले गया जब हम उनके घर में प्रवेश किए, तो येदियुरप्पा पूजा कर रहे थे। घर में प्रवेश करने के बाद उन्होंने मुझे बैठने के लिए कहा और जिसके बाद उन्होंने मुझसे समर्थन देने को कहा, ताकि येदियुरप्पा फिर से कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन सकें।
आपको बता दें नारायण गौड़ा ने दाबा किया की मैंने बीएस येदियुरप्पा से कृष्णराजपेट निर्वाचन क्षेत्र के विकास के लिए 700 करोड़ रुपये आवंटित करने को कहा। जबकि उन्होंने कहा कि वे 300 करोड़ रूपए और अधिक देते हुए 1000 करोड़ रुपये देंगे। उन्होंने बाद में यह धन भी मुहैया कराया। क्या आपको नहीं लगता कि मुझे ऐसे महान व्यक्ति का समर्थन करना चाहिए, तो मैंने किया।
अयोग्य ठहराए गए कर्नाटक विधायक का दावा- मैंने 700 करोड़ मांगे थे, येदियुरप्पा ने मुझे 1000 करोड़ रुपये दिए!!
भाजपा सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट करके विधायकों की खरीद फरोख्त में देश का खजाना खाली कर दिया!!
— Uttar Pradesh Congress Sevadal (@SevadalUP) November 6, 2019
वही विधायक के खुलासे के बाद कांग्रेस हरकत में आई और केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोल दिया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस सेवादल ने ट्वीट करते हुए लिखा- अयोग्य ठहराए गए कर्नाटक के विधायक का दावा- मैंने 700 करोड़ मांगे थे, येदियुरप्पा ने मुझे 1000 करोड़ रुपये दिए भाजपा सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट करके विधायकों की खरीद फरोख्त में देश का खजाना खाली कर दिया।
गौड़ा का यह भी दावा है कि अयोग्य घोषित हुए JDS विधायक ने भी मांड्या में कहा है कि उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए येदियुरप्पा सरकार से हासिल फंड के चलते उन्हें समर्थन दिया। गौरतलब है कि जुलाई 2019 में कर्नाटक विधानसभा के तत्कालीन अध्यक्ष केआर रमेश कुमार ने दल-बदल रोधी कानून के तहत 17 विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था।