UAE देश के पहले अंतरिक्ष यात्री हज़्ज़ा अल मंसूरी के अंतरिक्ष में भेजने जा रहे हैं जिसके दौरान वहाँ नमाज़ कैसे अदा करेंगी, वहाँ नमाज़ पढ़ने को लेकर गाइड लाइन और दिशा निर्देश जारी की गई है। इस्लाम की प्रथाओं के अनुसार मुसलमा’नों को नमा’ज़ दिन के समय के हिसाब से पढ़नी होती है, जबकि अंतरि’क्ष में हज़्ज़ा को 16-16 सूर्योद’य और सूर्यास्त एक दिन में दिखने थे। ऐसे में प्राधिकरण ने हज़्ज़ा को मुसलमा’नों की पवित्र’तम जगह मक्का के सूर्योदय सूर्यास्त के समय नमाज़ पढ़ने की सलाह दी है।
इसके अलावा मुसलमा’नों को मक्का की तरफ़ मुँह करके नमाज़ पढ़ने के लिए कहा जाता है, जबकि अंतरिक्ष यात्री शून्य गुरुत्वाकर्षण में तेज़ी से धरती के चक्कर लगा रहे होते हैं। इसके समाधान में हज़्ज़ा को धरती की ओर चेहरा कर नमाज़ पढ़ने को कहा गया है।
आपको बता दें कि नमाज़ पढ़ने के पहले खुद को स्वच्छ करना होता है। गाइडलाइंस के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष केंद्र ISS में पानी की कमी होने पर इसके लिए रेत के दाने या पत्थर का इस्तेमाल किया जा सकता है।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि अल मंसूरी रूसी कॉस्मोनॉट ओलेग स्क्रिपोचका और अमेरिकी अंतरिक्षयात्री जेसिका मायर के साथ बुधवार 25 सितंबर को ISS के लिए रवाना होंगे। NASA के मुताबिक़ अल मंसूरी 3 अक्टूबर को लौट आएँगे, जबकि बाकी दोनों अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी अगले वर्ष होगी।
We are proud that Hazza Al Mansouri will soon become the first Emirati to go to space.
Can you name the country from where he will go to space? pic.twitter.com/lhA27pKTCT— Emirates Islamic (@emiratesislamic) September 17, 2019
इस दौरान वो पृथ्वी से संबंधित सूचनाएं और आईएसएस में अंतरिक्ष यात्रियों के दैनिक जीवन के बारे में जानकारियां जुटाएंगे| आपको बता दें कि हाजा अल मंसूरी अरब देश से तीसरे अंतरिक्ष यात्री बन जाएंगे, और 1980 के बाद पहले यात्री हैं|
सऊदी अरब के सुल्तान बिन सलमान अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद ने 1985 में एक अमेरिकी अंतरिक्ष शटल मिशन पर उड़ान भरी थी और दो साल बाद सीरिया से मुहम्मद फारिस सोवियत अंतरिक्ष उड़ान में शामिल हुए थे|
This is how #UAE astronaut Hazza Al Mansouri will depart Earth this week from the Baikonur Cosmodrome, a spaceport in southern Kazakhstan. pic.twitter.com/0SDv2cGSi9
— The National (@TheNationalUAE) September 22, 2019
इसके बाद 2007 में रमजान के दौरान आईएसएस की यात्रा करने वाले मलेशियाई अंतरिक्ष यात्री शेख मुसज़फ़र शुकर को इसी तरह की दुविधा का सामना करना पड़ा था. एक धर्मनिष्ठ मुसलमा’न होने के कारण वो मक्का की तरफ समय पर प्रार्थना करना चाहते थे.