मु’स्लिम बहुल आवादी वाले जम्मू कश्मीर प्रांत से मोदी सरकार द्वारा विशे’ष दर्जे को हटा कर अनुछे’द 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म कर दिया था जिसको आज लगभग 63 दिन बीत चुके हैं| जम्मू कश्मीर से मोदी सरकार द्वा’रा विशे’ष दर्जा छीन लिए जाने के बाद लोगों की आवाजा’ही और संचार के साधनों पर रोक लगा दी गई थी| साथ ही वहाँ के ज्यादातर लोगों को जेलों में कैद कर रखा है और बाकी बची प्रजा को उन्ही के घरों में सरकार द्वारा बं’दी बना कर रखा गया है| इतना ही नहीं सरकार ने वहाँ के बड़े और ना’मीगिरा’मी लोगों के साथ साथ नेताओं को भी कै’द कर रखा है|
बता दें कि पूरे कश्मीर का हाल बेहाल हुआ पड़ा है सभी लोग भूख प्यास से संघ’र्षों से झूझ रहे हैं| वहाँ की फ़ोन और इंटरने’ट सेवायें भी बं’द हैं तो वह अपना हाल किसी को बता भी नहीं सकते, सभी लोग इन संघ’र्षों के चलते डर के साथ अपनी ज़िन्दगी किसी भी तरह से गुज़ार रहे हैं| आज लगभग दो महीने बीतने के बाद भी वहाँ की स्थिति बहाल नहीं हुई है सब वैसा ही है जैसी पावंदि’यों के लगने पर था|
हालांकि अभी कश्मीर के कई हि’स्सों से कुछ पा’बंदि’यां हटा’ई गई है लेकिन इसके कई हिस्सों में अभी भी मोबा’इल और इंटरनेट सेवा’एं ठ’प्प हैं| इसी के चलते गुरुवार को शाम कश्मीर प्रेस क्लब के बाहर बैठ कर कश्मीर घा’टी के दर्जनों पत्रकारों ने एक मूक विरो’ध प्रदर्शन किया जिसमे उन्होंने हाथों पर काली प’ट्टी बां’ध रखी थी और कई संदेश लिखे प्लेका’र्ड उठाए हुए थे|
बता दें कि इन प्लेकार्डों पर संचार नाकाबं’दी 60 दिन और अब भी जारी और नाकाबं’दी खत्म करो जैसे नारे लिखे हुए थे| साथ ही इन पत्रकारों के 11 एसो’सिएश’नों और कई पत्रकार सं’घों के पत्रकारों, सं’पाद’कों और फोटोग्राफ’रों ने मिल कर एक बया’न भी जारी किया था|
Dozens of #journalists stage protest against ‘media gag’ in #Kashmirhttps://t.co/s7JDhtq0fV pic.twitter.com/my6mjXU2le
— Press TV (@PressTV) October 3, 2019
उस बयान में पत्रकारों द्वारा सरकार से पूछा गया था कि और कब तक घा’टी के पत्रकारों को केवल आधिकारिक वि’ज्ञप्ति’यों और प्रेस ब्रीफिं’ग पर निर्भ’र करना पड़ेगा जो कि केव’ल एकतरफा संवा’द है?
आपको बता दें कि भारत सरकार ने कश्मीर में मीडिया सुविधा केंद्र स्थापित किया हुआ है जहां से पत्रकार कंप्यूटरों और मोबाइल फोनों का कुछ देर के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं| इस प्रदर्शन के चलते कश्मीर प्रेस क्लब के महासचि’व इशफा’क तांत्री ने कहा कि कोई प्राइवेसी नहीं है| करीब 300 पत्रका’र रोजाना उन सुविधाओं का इस्तेमाल करते हैं और ये भरा रहता है, इसे मोनी’टर भी किया जाता है, जिससे हम पर निगरा’नी रखी जा रही है|
“Stop criminalising journalism, rescues us from sub-jail what you call MFC (media facilitation centre), allow journalists to work freely in Kashmir, we are journalists not mouthpieces.” https://t.co/ayvbKsURFH
— The Wire (@thewire_in) October 4, 2019
इन्ही पावंदि’यों के चलते कश्मीर के एक स्थानीय वेब आधारित समाचारपत्र की सं’पाद’क ने भारतीय न्यूज चैनल एनडीटीवी को बताया कि वह अपने पेपर को अपडेट नहीं कर पा रही हैं क्योंकि उनका घाटी के तमाम जिलों में मौजूद अपने संवाददाता’ओं के साथ नियमित संप’र्क स्थापित नहीं हो पाता है|
साथ ही उन्होंने बताया कि एक रिपोर्ट मिलने में दो दिन तक लग जाते हैं| वहीँ एसोसिएशन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि संचार के इस तरह के ब्लै’क आउट, खासकर इंटरनेट को बंद रखना और मोबाइल सेवाएं ठ’प्प रखना पेशेवर पत्रकारों के काम को गंभी’र रूप से प्रभावित कर रहा है|
Kashmir journalists protest two-month ‘blackout’ https://t.co/mbUYKOSmU7
— The Straits Times (@STcom) October 3, 2019
साभारः #TheWire