बढ़ते सांप्र’दायिक मामलों के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निष्पक्ष फैसला सुनाया है, इलाहबाद हाईकोर्ट ने कहा प्यार मजहब नही देखता हम सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार को हिन्दू मुस्लि’म के तौर पर नही देखते, वह दोनों अपनी मर्ज़ी से एक साल से भी ज्यादा समय से शांति और ख़ुशी से रह रहे हैं.
इस तरह से दो लोगों को अलग करना न्यायालय और संवैधानिक अदालतों ने नियमों के उलट होगा. भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत देश के किसी भी नागरिक को उसके जीवन और स्वतंत्रता को बनाए रखना इनका अधिकार है.
क्या है पूरा मामला?
सलामत अंसारी और प्रियंका खरवार इन दोनों ने अपने परिवार की मर्ज़ी के खिला’फ शादी की थी, इन दोनों ने मुस्लि’म रीति-रीवाज के साथ 19 अगस्त 2019 को शादी की, और शादी के बाद प्रियंका ने मुस्लि’म धर्म अपनाकर अपना नाम आलिया रख लिया था, प्रियंका के परिवार वालों ने इस पूरे मामले को लेकर बेटी के अपहर’ण और पाक्सो एक्ट के तहत FIR दर्ज़ करवाई थी.
इलाहाबाद Highcourt में याचिका दायर करने पर सुनवाई में सलामत को रहत मिली. कोर्ट ने यह उम्मीद जताई कि इस मामले मे पो’क्सो एक्ट लागू नही होता, इस आधार पर कोर्ट ने याचिकाओं और उनके खिलाफ दर्ज़ FIR को भी रद्द कर दिया.