उत्तर प्रदेश के लखनऊ में, जिला मजिस्ट्रेट ने एक आदेश जारी करते हुए वहां के इमामबाड़े सहित सभी ऐतिहासिक इमारतों में प्रोफेशनल वीडियो कैमरा, ट्राइपॉड और कैमरे इन सब को ले जाना प्रतिबंधित किया है. इसके अलावा सभी ऐतिहासिक इमारतों में सिर्फ वे ही लोग आ जा सकेंगे जिनके कपड़े भारतीय संस्कृति के अनुसार होंगे. मतलब कि ऐसे कपड़े जिनसे फूहड़ पण झलकता हो, ऐसे कपड़े पहनने वालों अब को वहां एंट्री नहीं दी जाएगी.
गौरतलब है कि इमामबाड़ा जो कि एक ऐतिहासिक मुस्लि’म धरोहर है, यहां पिछले काफी समय से कुछ नागरिकों द्वारा भड़’काऊ कपड़े पहन कर प्रवेश करने पर शिया समुदाय के लोगों ने ऑब्जेक्शन उठाया था, और इनके साथ कुछ और लोग भी जिला प्रशासन से काफी समय से चर्चा कर रहे थे.
उनका कहना था कि ये प्राचीन इमारतें हमारे ऐतिहासिक देश की अनमोल धरोहर हैं, जो भारतीय संस्कृति और गरिमा को दर्शाते हैं. इनमें इनमें किसी भी तरह की असभ्यता नहीं होना चाहिए. जिससे कोई भी हमारे देश की संस्कृति पर उंगली उठाए.
आपको बता दें कि हुसैनाबाद अलाइव ट्रस्ट के प्रतिनिधि और भारतीय पुरातत्व विभाग के अधिकारी एक बैठक में शामिल हुए थे, जिसमें एएसआई की तरफ से संरक्षित इमारतों की देखभाल का जिम्मा इस ट्रस्ट के हवाले है. जिला मजिस्ट्रेट ने कहा कि गार्ड और गाइड दोनों को इस बात के लिए निर्देश दे दिए गए हैं.
इन इमारतों में ऐसे लोगों का आना प्रतिबंधित करें जो दूसरों के लिए अथवा किसी भी तरह की धार्मिक भावनाएं जिससे आहत ना हों, साथ ही उन्होंने कहा कि इन सभी इमारतों में किसी भी तरह के प्रोफेशनल वीडियो बनाना फोटोग्राफी करना वीडियो कैमरा ट्राइपॉड वगैरा ले जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है.
हालांकि इससे पहले भी कुछ शिया धर्मगुरुओं ने सिविल सोसायटी के सदस्य और इतिहासकारों ने इस संबंध में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री तक इस बात के लिए पत्र लिखा था. और काफी समय से यह मांग जोर पकड़ती जा रही थी.
अब जाकर डीएम ने इस बात को गौर करते हुए यह आदेश जारी कर दिए हैं, कि सिर्फ सलीके वाले और सभ्य कपड़े पहने हुए लोग ही अब यहां घूमने फिरने आ सकेंगे.