बहुचर्चित तीन तलाक बिल एक बार फिर संसद में है। मोदी सरकार ने 17वीं लोकसभा में अपने पहले बिल के रूप में शुक्रवार को विधेयक 2019 पेश किया। विपक्ष के विरोध के बीच यह बिल 74 के मुकाबले 186 मतों के समर्थन से पेश हुआ। बिल को पेश किए जाने के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्षी सांसदों, खासतौर पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुसलमीन के सांसद असदुद्दीन ओवैसी के बीच तीखी बहस भी हुई। विपक्षी दल इस विधेयक को लेकर कई सवाल उठा रहे है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस बिल को असंवैधानिक और भेदभाव वाला बताकर विरोध किया।
कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सदन में बिल को पेश करते हुए कहा कि यह मुस्लिम महिलाओं के हितों की रक्षा के लिए है। तो वही AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा की यह बिल महिलाओं की मदद करने के लिए नहीं बल्कि उनके हितों को नुकसान पहुंचाएगा ये भेदभाव के संविधान के खिलाफ बताया। मोदी सरकार पिछली बार भी इस बिल को लेकर आई थी तब सरकार ने विधेयक को लोकसभा में तो पास करा दिया था लेकिन लाख कोशिश के बावजूद वो इसे राज्यसभा में पास नहीं करा पाए थे।
इस बिल का विपक्ष के तमाम दलों ने विरोध जताया है, असदउद्दीन ओवैसी सरकार से सवाल पूछे हैं, अब रामपुर से निर्वाचित हुए साँसद मोहम्मद आजम खान ने भी तीन तलाक पर मोदी सरकार को सीधे शब्दों में विरोध जताया है। सपा संसद आजम खान ने अपनी राय देते हुए कहा है कि उनकी पार्टी कुरान में लिखी बातों का समर्थन करती है कुरआन के अलावा हम किसी और कानून को नहीं मानेगे।
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान का कहना है। कि मुसलमानों का इस बिल से कोई लेना-देना नहीं है और उन्हें कुरान के अलावा कोई और कानून मान्य नहीं है न्यूज 18 हिंदी की खबर के मुताबिक, आजम खान ने कहा कि तीन तलाक बिल से मुसलमानों का कोई लेना देना नहीं है, जो लोग मुसलमान हैं वे कुरान और हदीस को मानते हैं।
पूरी दुनिया का हवाला देते हुआ आज़म खान ने कहा की दुनियाभर का मुसलमान तलाक की पूरी प्रक्रिया जनता है जो कुरान में बताई हुई है. ऐसे में हमारे लिए कुरान के उस प्रक्रिया के अलावा कोई भी कानून मान्य नहीं है. आजम खान ने कहा, जो लोग इस्लामिक शरह के ऐतबार के तहत तलाक नहीं लेते वो तलाक नहीं माना जाता. तलाक पर कानून बने या न बने अल्लाह के कानून से बड़ा कोई और कानून नहीं है।
My party supports what Quran says: SP’s Azam Khan on Triple Talaq Bill
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— ANI Digital (@ani_digital) June 21, 2019
आजम ने कहा कोई भी धर्म महिलाओं को उतनी आजादी नहीं देता जितना इस्लाम ने दिया है। 1500 साल पहले इस्लाम ही वो ध र्म था जिसने महिलाओं को सबसे पहले समानता का अधिकार दिया था। आज के समय में इस्लाम में सबसे कम तलाक होते हैं और महिलाओं के खिलाफ हिं@सा भी इस्लाम में सबसे कम होती है। महिलाओँ को ज लाया या उनकी ह@त्या नहीं की जाती।
आजम आगे कहा की तीन तलाक एक धार्मिक मुद्दा है, राजनीतिक नहीं एक ईमान वाले मुसलमान के लिए इस्लाम और कुरआन से बढ़कर कोई और नहीं है। शादी तलाक और हर चीज के लिए कुरान में साफ-साफ निर्देश है। जिसे हर मुसलमान अच्छी तरहे जानता है।