कोरोना वायरस के चलते देशवयापी लोक डाउन के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों से सैकड़ो की तादाद में मेहनतकश मजदूरों का पयालन शुरू हुआ कोरोना के डर से शहरों से अपने अपने गांव की ओर पलायन करने वाले सैकड़ो की तादाद में गरीब मजदूरों में से कोई पिता है, कोई माँ है तो कोई मासूम बच्चा है। सबकी अपनी कहानी है, इस संकट के समय सभी अपने घर के आंगन का दीदार करने के लिए हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर रहे हैं।
बता दें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कोरोना संकट को देखते हुए 24 मार्च को देश में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया गया था, जिसकी वजह से पुब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद हैं। इसीलिए मजदूर साधन ना मिलने की वजह से या तो कही फसे पड़े है य पैदल ही अपने गांव की ओर चल पड़े थे।
कोरोना संकट के बीच मुसलमानों के खुद्दारी की कहानी
ये प्रवासी मजदूर हैं. सब के सब मुसलमान हैं. बिहार के कटिहार जिले से हैं. आजमगढ़ में मजदूरी करने आए थे लॉक डाउन की वजह से यहीं फस गए। अब इनके पास कोई काम नहीं है. और न खाने पीने को राशन नहीं है जो कुछ जमापूंजी थी, धीरे धीरे सब खत्म हो गयी।
कल उनमें से एक व्यक्ति ने मुझे उनकी हालातो के बारे में बताया तो मैंने उसे राशन दे दिया। आज जब फिर मैंने उन्हें बुलाकर राशन और कुछ पैसा देना चाहा तो उन्होंने जबरदस्ती मेरे अहाते में खाली पड़ी जमीन को खोदना शुरू कर दिया। कहने लगे- भैया जी सब्जी लगा लीजिएगा।
इतने मुश्किल वक्त में भी उनकी खुद्दारी देखकर मन द्रवित हो उठा आधे घंटे में ही उन्होंने जमीन के टुकड़े को बोने लायक बना दिया। इस दौरान इन्होंने शारीरिक दूरी का भी ख्याल रखा। पापा इनकी मदद के लिए जिलाधिकारी से बात करेंगे। मुझे उम्मीद है इनको सरकारी मदद जरूर मिलेगी।
मुस्लिमों की कहानी,
हिंदू भाई की ज़ुबानी।👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻 pic.twitter.com/F5CJK8mduf
— Israil Malik 🇮🇳 (@abufawaz24) April 12, 2020
मीडिया के दलालों और ग’ली मोहल्ले के जोम्बियों सुन लो- मेरे लिए ये मुसलमान नहीं, इंसान हैं, मजदूर हैं, मेहनतकश अवाम हैं मेरे देश की कोरोना संकट के बीच धर्मवीर यादव का ये संदेश फेसबुक पर खूब वायरल हो रहा है।
इस संदेश को अब तक 7000 से भी अधिक लोगों ने लाइक किया है और 4300 से अधिक बार शेयर भी किया जा चूका है. इसके अलावा ये संदेश ट्विटर पर इस्राइल मलिक नाम के यूजर ने शेयर करते हुए लिखा है मुस्लिमों की कहानी, हिंदू भाई की जुबानी. ट्विटर पर इस संदेश को न्यूज़24 की जानी-मानी पत्रकार साक्षी जोशी ने भी रिट्वीट किया है।
यह लेख अधिवक्ता धर्मवीर यादव की फेसबुक वाल से लिया गया है.