तीन तलाक विधेयक पर राज्यसभा में वोटिंग के दौरान कांग्रेस समाजवादी पार्टी के पांच-पांच सांसदों सहित विपक्ष के करीब 20 सांसदो से भी ज्यादा अनुपस्थित रहे। इसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला और उसने आसानी से यह बिल पास करा लिया। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से मिली है। कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों को अब पार्टी को कारण बताना पड़ेगा क्योंकि विधेयक पर वोटिंग के दौरान सभी सांसदों की सदन में मौजूदगी सुनिश्चित करने के लिए कांग्रेस ने व्हिप जारी किया था।
सत्तारूढ़ दल ने मुस्लि’म महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2019 को राज्यसभा में 84 के मुकाबले 99 मतों से पारित करा लिया। सूत्रों ने बताया कि विपक्ष के सदस्य अगर सदन में मौजूद होते तो यह विधेयक को प्रवर समिति के पास भिजवा सकते थे। कहा जा रहा है कि बीजेपी और एआईएडीएमके व जेडीयू आलाकमान के बीच बनी सहमति की वजह से इन पार्टियों के सांसद सदन से वॉकआउट कर गए।

वही बीजू जनता दल जहां इस मामले में सरकार के समर्थन में खड़ी नजर आई, बीएसपी, टीडीपी और टीआरएस के सांसद अनुपस्थित रहे। मुमकिन है कि केंद्रीय एजेंसियों की जांच के घेरे में कई बड़े राजनेताओं का रहना भी इस अनुपस्थिति की वजह बनी। हालांकि समाजवादी पार्टी के 12 सांसदों में से 6 और दोनों पीडीपी सांसदों के अनुपस्थित रहने की वजह इन पार्टियों के आलाकमान की ओर से कोई आदेश नहीं था।
बताया जाता है कि बीजेपी ने हर सांसद से अलग-अलग बात करने की कोशिश की जिसमे वो कामयाब हो गए। वही एक हकीकत यह भी है कि बीजेपी कांग्रेस और तृणमूल को छोड़कर बाकी पार्टियां आम तौर पर सांसदों को मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी नहीं करतीं। दरअसल ये पार्टियां नहीं चाहतीं कि उनकी अंदरुनी दरार खुलकर सार्वजनिक हो जाए।

आपको बता दें कि बिल पास होने वाले दिन डॉ संजय सिंह समेत कांग्रेस के पांच सांसद भी सदन में मौजूद नहीं थे। संजय सिंह ने इसके ऐन पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी जॉइन कर ली थी।
हालांकि कांग्रेस और सपा ने अपने अनुपस्थिति सांसदों को लेकर उन पर कोई ऐक्शन लेने से इनकार कर दिया था। वही कांग्रेस ने अनुपस्थिति सांसदों का ठीकरा मोदी सरकार पर फोड़ा दिया। कांग्रेस का कहना था कि सरकार ने जानबूझकर देर रात यह जानकारी दी कि बिल अगले दिन आने वाला है। ऐसे में जो सांसद दिल्ली से बाहर थे, वो संसद कैसे आ पाते।
साभार: jansatta